श्री रामायण जी की आरती

 श्री रामायण जी की आरती

आरती श्री रामायण जी की।

कीर्ति कलित ललित सय पी की॥


गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद।

बाल्मीकि विज्ञान बिसारद॥

शुक सनकादिक शेष अरु शरद।

बरनि पवनसुत कीरति निकी॥1॥

आरती श्री रामायण जी की...


संतन गावत शंभू भवानी।

अरु घटसंभव मुनि बिग्यानि॥

ब्यास आदि कबीबर्ज बखानी।

कागभुशुण्डि गरुड़ के ही की॥2॥

आरती श्री रामायण जी की...


चारौ बेद पुराण अष्टदस।

चों शास्त्र सब ग्रन्थ को रस॥

तन मन धन संतन सरबस।

सार अंश सम्मत सब ही की॥3॥

आरती श्री रामायण जी की...

कलिमल हरनि बिषय रस फीकी।

सुभाग सिंगार मुक्ति ज्योति की॥

हरणी रोग भव मूरि अमी की।

तात मातु सब बिधि तुलसी की॥4॥

आरती श्री रामायण जी की...










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