सोम नाथ ज्योतिर्लिंग

 सोम नाथ ज्योतिर्लिंग

 

शिव पुराण में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पृथ्वी के सभी ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम बताया गया है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इस पर लगभग 17 बार विदेशी आक्रमणकारी आक्रमण हुए लेकिन फिर भी यह आज तक स्थापित है।

गुजरात का सोमनाथ मदिर देवों के देव भगवान शिव शंकर को समर्पित है। यह गुजरात के वेरावल बंदरगाह से कुछ ही दूरी पर प्रभासाक्षी पाटन में स्थित है। शिव महापुराण में सभी ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया गया है। इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में यह प्रमाणित है कि सोमनाथ के मंदिर की स्थापना भगवान चंद्र देव ने की थी। चन्द्र देव ने स्थापित की थी इस मूर्ति का नाम सोम रखा गया है। आइए जानते हैं इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें...

ऐसा है मंदिर का स्वरूप


सोमनाथ मंदिर का पैगाम लगभग 155 फीट ऊंचा है। मंदिर के शिखर पर रखे गए कलश का वजन करीब 10 टन है और झंडा 27 फुट ऊंचा और 1 फुट ऊंचा है। मंदिर के चारों ओर विशाल मंदिर है। मंदिर का प्रवेश द्वार व्यवस्था है। मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है। नाट्यमंडप, जगमोहन और गर्भगृह, मंदिर के बाहर वल्लभ भाई पटेल, रानी अहिल्याबाई आदि की मूर्तियां भी लगी हैं। समुद्र तट पर स्थित यह मंदार बहुत ही सुंदर दिखाई देता है।

ऐसे पढ़ें मंदिर का नाम


शिवपुराण के अनुसार चंद्र देव ने यहां भगवान शिव की तपस्या के लिए राजा दक्ष प्रजापति की मुक्ति की थी और उन्हें ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित किया था। बता दें कि सोम, चंद्रमा का ही एक नाम है और चंद्रमा ने यहां अपना स्वामी नाथ की तपस्या की थी। इसी तरह बने इस ज्योतिर्लिंग को भी सोमनाथ कहा जाता है।

बाण स्तम्भ का अनसुलझा रहस्य


मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे बाण स्तंभ है, जो बहुत प्राचीन है, लगभग 6वीं सदी के बाण स्तंभ का इतिहास में उल्लेख है, लेकिन यह नहीं पता कि इसका निर्माण कब हुआ था, इसे बनाया गया था और क्यों बनाया गया था ।। विभक्तियाँ हैं कि बाण स्तम्भ एक दिशादर्शक स्तम्भ है, जिसके शीर्ष पर एक तीर (बाण) बनाया गया है। जिसका मुख समुद्र की ओर है। इस बाण स्तंभ पर लिखा है, आसुमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योतिमार्ग, इसका मतलब यह है कि समुद्र के इस बिंदु से दक्षिण ध्रुव तक सीधी रेखा में कोई रुकावट या बाधा नहीं है। इस पंक्ति का सरल अर्थ यह है कि सोमनाथ मंदिर के उस बिंदु से लेकर दक्षिण ध्रुव तक यानी अंटार्टिका तक एक सीधी रेखा खिंची जाए तो बीच में एक भी पर्वत या शिखर का टुकड़ा नहीं दिखता है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि उस काल के लोगों को यह जानकारी क्या थी कि दक्षिणी ध्रुव कहाँ है और पृथ्वी गोल है? कैसे उन लोगों ने इस बात का पता लगाया होगा कि बाण स्तंभ की सीध में कोई बाधा तो नहीं है? ये अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है।

17 बार मन्दिर पर आक्रमण हुआ


सोमनाथ मंदिर का इतिहास बताता है कि समय-समय पर मंदिर पर कई आक्रमण हुए और बर्बाद हुए। मंदिर पर कुल 17 बार आक्रमण हुआ और हर बार मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। लेकिन मंदिर पर किसी भी कालखंड का कोई प्रभाव देखने को नहीं मिलता। सिद्धांत यह है कि ऋग्वेद में मौजूद रचना के समय इस शिलालेख का भी महत्व बताया गया है।









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